Monday, October 13, 2008

नन्हें पंखों को आमत्रण

इन बच्चों के साथ मैं उन बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं जो गरीब तंगहाल हैं और आिर्थक मजबूरी में अपना बचपन दांव पर लगाए बैठे हैं। गली कूंचों में अपने नन्हें पंखों को नीलाम कर रहे हैं। कचरे के डब्बों में चाय की दूकानों, होटलों और ढाबों में रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन के कंपार्टमेंट में अपने नन्हें पंखों को सूली पर लटकाए हैं। दो महीने पहले मैं पीजीआई गया था, हेमेटोलोिज िडपार्टमेंट, वहां डॉक्टर िवश्वनाथ मेरी िसस्टर इन लॉ का इलाज कर रहे थे और डॉक्टर सुिमत िफरोजपुर से आई एक १५ वर्षीय बच्ची का िजसके पूरे शरीर में काले-काले दाग उभर आए थे। डॉक्टर ने उस लड़की के िपता से जब पूछा आपके िकतने बच्चे हैं? उसने जवाब िदया पांच, तीन लड़की, दो लड़के। आप क्या करते हैं डॉक्टर ने पूछा, प िरवार कैसे चलता है उस व्यक्ित ने जवाब िदया बच्चे ईंटा -ऊटा ढो लेते हैं। उनके मेहनत मजूरी से ही प िरवार चलता है। जब डॉक्टर उस बच्ची से सवाल करते तो वह मुस्कुराकर जवाब देती। ऐसे में ही पढ़ाई और शादी के सवाल पर वह शर्माई और मुस्कुराकर रह गई। दो घंटे के बाद हमे बुलाया गया और उस बच्ची को भी। िदन के तीन बजे थे बच्ची के खून की िरपोर्ट आनी बाकी थी। िरपोर्ट आई तो उसका जीने का सपना पानी हो चुका था। डॉक्टर सुिमत ने उस बच्ची के बाप को बुलाकर कहा इसे खून का कैंसर है बस छह महीने और बचेगी। इलाज काफी महंगा है। जब लगे खून बदलवा लेना दो-तीन साल जी जाएगी। हम सन्न थे।ऐसे तमाम और बच्चे हैं जो ितल-िल कर अपना सब कुछ खो रहे हैं ऐसे बच्चों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का अश्वमेध यग्य करना होगा। यह ब्लाग भी उस यग्य में आहूित देगा। इन बच्चों के साथ मैं उन तमाम बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं िजन्हें नया सृजन करना है, नया समाज, नए राष्टर् का िनर्माण करना है जो खाते-पीते संपन्न घर के हैं, मध्य और उच्च मध्यम वर्ग के हैं। ये आमंत्रण इस िलए है तािक खाई पाट सकूं। पूरा नहीं तो कुछ हद तक ही। आओ बच्चों ये ब्लाग तुम्हारा आंगन है यहां खेलो, कूदो, िखलो मुझसे अपने अमल अंकल से अपने मन की बात कहो मैं चांद और तारों को आमंत्रण भेज चुका हूं वे तुम्हारे साथ खेलेंगे। आओ इस आंगन में िखल िखलाओ, खुद भी रौशन हो और इस नन्हें आंगन को भी रौशन कर दो।इस ब्लाग में अमल अंकल के साथ हैं अम्बरीश कुमार गुप्ता और अमृता िप्रय दर्शनी।इन बच्चों के साथ मैं उन बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं जो गरीब तंगहाल हैं और आिर्थक मजबूरी में अपना बचपन दांव पर लगाए बैठे हैं। गली कूंचों में अपने नन्हें पंखों को नीलाम कर रहे हैं। कचरे के डब्बों में चाय की दूकानों, होटलों और ढाबों में रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन के कंपार्टमेंट में अपने नन्हें पंखों को सूली पर लटकाए हैं।दो महीने पहले मैं पीजीआई गया था, हेमेटोलोिज िडपार्टमेंट में वहां डॉक्टर िवश्वनाथ मेरी िसस्टर इन लॉ का इलाज कर रहे थे और डॉक्टर सुिमत िफरोजपुर से आई एक १५ वर्षीय बच्ची का िजसके पूरे शरीर में काले-काले दाग उभर आए थे। डॉक्टर ने उस लड़की के िपता से जब पूछा आपके िकतने बच्चे हैं? उसने जवाब िदया पांच, तीन लड़की, दो लड़के। आप क्या करते हैं डॉक्टर ने पूछा, प िरवार कैसे चलता है उस व्यक्ित ने जवाब िदया बच्चे ईंटा -ऊटा डो लेते हैं। उनके मेहनत मजूरी से ही प िरवार चलता है।जब डॉक्टर उस बच्ची से सवाल करते तो वह मुस्कुराकर जवाब देती। ऐसे में ही पढ़ाई और शादी के सवाल पर वह शर्माई और मुस्कुराकर रह गई। दो घंटे के बाद हमे बुलाया गया और उस बच्ची को भी। िदन के तीन बजे थे बच्ची के खून की िरपोर्ट आनी बाकी थी। िरपोर्ट आई तो उसका जीने का सपना पानी हो चुका था। डॉक्टर सुिमत ने उस बच्ची के बाप को बुलाकर कहा इसे खून का कैंसर है बस छह महीने और बचेगी। इलाज काफी महंगा है। जब लगे खून बदलवा लेना दो-तीन साल जी जाएगी। हम सन्न थे।ऐसे तमाम और बच्चे हैं जो ितल-िल कर अपना सब कुछ खो रहे हैं ऐसे बच्चों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का अश्वमेध यग्य करना होगा। यह ब्लाग भी उस यग्य में आहूित देगा। इन बच्चों के साथ मैं उन तमाम बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं िजन्हें नया सृजन करना है, नया समाज, नए राष्टर् का िनर्माण करना है जो खाते-पीते संपन्न घर के हैं, मध्य और उच्च मध्यम वर्ग के हैं। ये आमंत्रण इस िलए है तािक खाई पाट सकूं। पूरा नहीं तो कुछ हद तक ही। आओ बच्चों ये ब्लाग तुम्हारा आंगन है यहां खेलो, कूदो, िखलो मुझसे अपने अमल अंकल से अपने मन की बात कहो मैं चांद और तारों को आमंत्रण भेज चुका हूं वे तुम्हारे साथ खेलेंगे। आओ इस आंगन में िखल िखलाओ, खुद भी रौशन हो और इस नन्हें आंगन को भी रौशन कर दो।इस ब्लाग में अमल अंकल के साथ हैं अम्बरीश कुमार गुप्ता और अमृता िप्रय दर्शनी।इन बच्चों के साथ मैं उन बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं जो गरीब तंगहाल हैं और आिर्थक मजबूरी में अपना बचपन दांव पर लगाए बैठे हैं। गली कूंचों में अपने नन्हें पंखों को नीलाम कर रहे हैं। कचरे के डब्बों में चाय की दूकानों, होटलों और ढाबों में रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन के कंपार्टमेंट में अपने नन्हें पंखों को सूली पर लटकाए हैं।दो महीने पहले मैं पीजीआई गया था, हेमेटोलोिज िडपार्टमेंट में वहां डॉक्टर िवश्वनाथ मेरी िसस्टर इन लॉ का इलाज कर रहे थे और डॉक्टर सुिमत िफरोजपुर से आई एक १५ वर्षीय बच्ची का िजसके पूरे शरीर में काले-काले दाग उभर आए थे। डॉक्टर ने उस लड़की के िपता से जब पूछा आपके िकतने बच्चे हैं? उसने जवाब िदया पांच, तीन लड़की, दो लड़के। आप क्या करते हैं डॉक्टर ने पूछा, प िरवार कैसे चलता है उस व्यक्ित ने जवाब िदया बच्चे ईंटा -ऊटा डो लेते हैं। उनके मेहनत मजूरी से ही प िरवार चलता है।जब डॉक्टर उस बच्ची से सवाल करते तो वह मुस्कुराकर जवाब देती। ऐसे में ही पढ़ाई और शादी के सवाल पर वह शर्माई और मुस्कुराकर रह गई। दो घंटे के बाद हमे बुलाया गया और उस बच्ची को भी। िदन के तीन बजे थे बच्ची के खून की िरपोर्ट आनी बाकी थी। िरपोर्ट आई तो उसका जीने का सपना पानी हो चुका था। डॉक्टर सुिमत ने उस बच्ची के बाप को बुलाकर कहा इसे खून का कैंसर है बस छह महीने और बचेगी। इलाज काफी महंगा है। जब लगे खून बदलवा लेना दो-तीन साल जी जाएगी। हम सन्न थे।ऐसे तमाम और बच्चे हैं जो ितल-िल कर अपना सब कुछ खो रहे हैं ऐसे बच्चों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का अश्वमेध यग्य करना होगा। यह ब्लाग भी उस यग्य में आहूित देगा। इन बच्चों के साथ मैं उन तमाम बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं िजन्हें नया सृजन करना है, नया समाज, नए राष्टर् का िनर्माण करना है जो खाते-पीते संपन्न घर के हैं, मध्य और उच्च मध्यम वर्ग के हैं। ये आमंत्रण इस िलए है तािक खाई पाट सकूं। पूरा नहीं तो कुछ हद तक ही। आओ बच्चों ये ब्लाग तुम्हारा आंगन है यहां खेलो, कूदो, िखलो मुझसे अपने अमल अंकल से अपने मन की बात कहो मैं चांद और तारों को आमंत्रण भेज चुका हूं वे तुम्हारे साथ खेलेंगे। आओ इस आंगन में िखल िखलाओ, खुद भी रौशन हो और इस नन्हें आंगन को भी रौशन कर दो।इस ब्लाग में अमल अंकल के साथ हैं अम्बरीश कुमार गुप्ता और अमृता िप्रय दर्शनी।इन बच्चों के साथ मैं उन बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं जो गरीब तंगहाल हैं और आिर्थक मजबूरी में अपना बचपन दांव पर लगाए बैठे हैं। गली कूंचों में अपने नन्हें पंखों को नीलाम कर रहे हैं। कचरे के डब्बों में चाय की दूकानों, होटलों और ढाबों में रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन के कंपार्टमेंट में अपने नन्हें पंखों को सूली पर लटकाए हैं।दो महीने पहले मैं पीजीआई गया था, हेमेटोलोिज िडपार्टमेंट में वहां डॉक्टर िवश्वनाथ मेरी िसस्टर इन लॉ का इलाज कर रहे थे और डॉक्टर सुिमत िफरोजपुर से आई एक १५ वर्षीय बच्ची का िजसके पूरे शरीर में काले-काले दाग उभर आए थे। डॉक्टर ने उस लड़की के िपता से जब पूछा आपके िकतने बच्चे हैं? उसने जवाब िदया पांच, तीन लड़की, दो लड़के। आप क्या करते हैं डॉक्टर ने पूछा, प िरवार कैसे चलता है उस व्यक्ित ने जवाब िदया बच्चे ईंटा -ऊटा डो लेते हैं। उनके मेहनत मजूरी से ही प िरवार चलता है।जब डॉक्टर उस बच्ची से सवाल करते तो वह मुस्कुराकर जवाब देती। ऐसे में ही पढ़ाई और शादी के सवाल पर वह शर्माई और मुस्कुराकर रह गई। दो घंटे के बाद हमे बुलाया गया और उस बच्ची को भी। िदन के तीन बजे थे बच्ची के खून की िरपोर्ट आनी बाकी थी। िरपोर्ट आई तो उसका जीने का सपना पानी हो चुका था। डॉक्टर सुिमत ने उस बच्ची के बाप को बुलाकर कहा इसे खून का कैंसर है बस छह महीने और बचेगी। इलाज काफी महंगा है। जब लगे खून बदलवा लेना दो-तीन साल जी जाएगी। हम सन्न थे।ऐसे तमाम और बच्चे हैं जो ितल-िल कर अपना सब कुछ खो रहे हैं ऐसे बच्चों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का अश्वमेध यग्य करना होगा। यह ब्लाग भी उस यग्य में आहूित देगा। इन बच्चों के साथ मैं उन तमाम बच्चों को भी आमंित्रत करता हूं िजन्हें नया सृजन करना है, नया समाज, नए राष्टर् का िनर्माण करना है जो खाते-पीते संपन्न घर के हैं, मध्य और उच्च मध्यम वर्ग के हैं। ये आमंत्रण इस िलए है तािक खाई पाट सकूं। पूरा नहीं तो कुछ हद तक ही। आओ बच्चों ये ब्लाग तुम्हारा आंगन है यहां खेलो, कूदो, िखलो मुझसे अपने अमल अंकल से अपने मन की बात कहो मैं चांद और तारों को आमंत्रण भेज चुका हूं वे तुम्हारे साथ खेलेंगे। आओ इस आंगन में िखल िखलाओ, खुद भी रौशन हो और इस नन्हें आंगन को भी रौशन कर दो।इस ब्लाग में अमल अंकल के साथ हैं अम्बरीश कुमार गुप्ता और अमृता िप्रय दर्शनी।

8 comments:

रश्मि प्रभा... said...

ek sahi shuruaat....badhaai ke paatra hain aap

विवेक सिंह said...

स्वागत है आपका . कृपया पढने में थोडी दिक्कत हुई .

प्रदीप मानोरिया said...

सार्थक पहल बधाई आपका चिठ्ठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है
बधाई स्वीकारें मेरे ब्लॉग पर भी पधारें

शोभा said...

अच्छा लिखा है आपने. चिटठा जगत मैं आपका स्वागत है.

अभिषेक मिश्र said...

Acha pryas hai. posts ki lines kai baar repeat ho gayi hain. pls remove unnecessary word verification. Welcome on my blog also.

Amit K Sagar said...

प्रसंशनीय सर. शुभकामनाएं.
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suman jha said...

bhaiya aapka prayas sahi mein kbiletarif hai. meine apne office mein isekai logon ko padhaya. savi ko bahut achachha laga. lekin bhaiya kahi kahi lagata hai kuch letter chhut gaya hai.

Tilak Jha said...
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