Friday, July 24, 2009

जिन्दगी की आपाधापी में जो पीछे छूट गए। किसी ने पीछे मुड़कर देखा भी नहीं वो पुकारते रहे। उत्तरआधुनिकता के इस शोर में वो बच्चे जो सेरिब्रल पाल्सी (मानसिक विकलांगता) के मरीज हैं, बेहद अकेले और शून्य में हैं। अपने घर में और किसी नुक्कड़ पर वो जब चुपचाप टुकटुक मुझे निहारते हैं तो मैं कई सवालों से घिर जाता हूं और खुद को बेहद असहाय और लाचार पाता हूं। इस वक्त जब मैं आपसे बतिया रहा हूं, कई मासूम बेजुबान नन्हें पंख अकेले अपने बिस्तर पर पड़े शून्य में निहार रहे होंगे। कोई शक्ति है अदृश्य सुना है, कामना है इन बच्चों की खिलखिलाहट लौटा दें, इनके हिस्से का जीवन इन्हें दें। जिन्हें सबकुछ मिला और जिन्हें कुछ नहीं मिला उन सबकी तलाश में आपसे मुखातिब हैं कुछ शब्द-------

जिंदगी की तलाश में

यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है।

जिंदगी में कुछ नही था कुछ के सिबा

जो कुछ था वो कुछ के लिए था और

कुछ के लिए था सबकुछ और

कुछ की तलाश में जो कुछ थे वो

जिंदगी भर ढूंढते रहे कुछ-कुछ

Thursday, July 23, 2009

यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है।

यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है। मानसिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए अभी और कम करने की जरुरत है। भारत में मानसिक रूप से विकलांग बच्चों की संख्या तीन प्रतिशत है और इसके मुकाबले काम करनेवाली संस्थानों की संख्या काफी कम है। सरकार को और एनजियो को अभी और सार्थक कदम उठाने की जरुरत है।

Wednesday, July 15, 2009

घो-घो रानी, थोड़ा है पानी

घो-घो रानी, थोड़ा है पानी उदास है नानी।घो-घो रानी, कितना पानी का खेल अब हकीकत बन कर हलक को तरसाने लगा है। नन्हे पंखों नानी की चिंतित इसलिए है कि कल को उनके बच्चों को प्यास लगेगी तो पानी कहां से आएगा। अभी दो दिन पहले ही नानी हरिद्वार की यात्रा से लौटी है और वहां गंगा का हाल देखकर अंदर तक व्यथित है। मै आपकी नानी के साथ जिस फ्रेम के साथ गंगा दर्शन को हरिद्वार गया था वह फ्रेम वहां जाते ही छोटा हो गया। लोगों ने आस्था के नाम पर गंगा को इतना मैला कर दिया है कि भक्ति की भावना घाट पर पहुंचते ही छूमंतर हो जाती है। सब लोग अपने कांवर, प्लास्टिक बैग और यहां तक कि चप्पल भी गंगा में फेंक रहे थे। इससे हरकी पैड़ी में गंगा का पानी काफी प्रदूषित हो गया है। हमने प्रकृति को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए धर्म का जो आवरण गढ़ा था, आस्था के उसी सैलाब ने प्रकृति को तहस-नहस कर दिया है। अब नदियों को बचाने की जिम्मेवारी आपको उठानी होगी नन्हे पंखों। गंगा में जो 170 करोड़ लीटर कचरा प्रति दिन बहाया जा रहा है उससे गंगा मईया को बचाने के लिए अश्वमेघ यज्ञ करना होगा।

Friday, July 10, 2009

आदमी को आदमी के साथ खड़ा होना चाहिए

आदमी को आदमी के साथ खड़ा होना चाहिए। आदमी दीवारों के बीच खड़ा है इसलिए आदमी की आवाज नहीं सुन रहा है आदमी। आदमी पैसों की झनकार के बीच खड़ा है इसलिए अकेला है आदमी। अहंकारों के बीच खड़ा है आदमी इसलिए आदमी को दिखाई नहीं दे रहा है आदमी। आदमी को आदमी का चश्मा चाहिए, आदमी का दिल चाहिए। आदमी को आदमी के साथ खड़ा होना चाहिए।

Tuesday, July 7, 2009

इन्हें तो रोज सलाखों से दागो

आज इंडियन एक्सप्रेस पढ़ रहा था कि अचानक एक खबर ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया। शर्षक था, 'बोथ अक्यूज्ड रेप्ड विक्टिम, मोर दैन वन्स : एडमिनिस्ट्रेशन काउंसिलÓ हेडिंग के बाद खबर पढ़ी तो घटना की गंभीरता का पता चला। घटना चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित नारी निकेतन की है जहां काम करने वाले दो लोगों ने एक 19 वर्षीय मेंटली रिटार्डेड लड़की के साथ कई-कई बार बलात्कार किया। बलात्कार करने वालों में एक भूपेंद्र सिंह जबकि दूसरा 52 वर्षीय जमना कुमार(गार्ड नारी निकेतन) है। इन दोनों के खिलाफ केस दर्ज करने वाले यूटी एडमिनिस्ट्रेशन के वरिष्ठï वकील अनुपम गुप्ता का कहना है कि दोनों अभियुक्तों ने उससे पहले तो नारी निकेतन में बलात्कार किया और फिर बाद में जब उसे सेक्टर 32 के मेंटली रिटार्डेड इंस्टीट्ïयूशन में भेज दिया गया तो ये दोनों वहां जाकर भी बाथरूम में उसके साथ जबर्दस्ती की। पिलहाल वह गर्भवती है और पीजीआई साइकैट्रिस्ट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर अजीत अवस्थी का कहना है कि उसे पता है कि उसके पेट में बच्चा है और वह उसे खोना नहीं चाहती है। यह घटना समाज की उस मानसिकता को उजागर करता है जिसे सख्ती से रोके जाने की जरूरत है। ऐसे संस्थानों में ऐसे बच्चों को लेकर अति संवेदनशील लोगों को ही रखा जाना चाहिए। हां एक बात और है लड़कियों के संस्थान में जूडो या अन्य मार्शल आर्ट से प्रशिक्षित लड़कियों को ही रखा जाना चाहिए। लड़कों के संस्थान में लड़कों को। हां जहां तक पकड़े गए भूपेन्द्र और जमना की बात है तो इन्हें ताउम्र जेल के एक सेल में बंद कर देने की सजा दी जानी चाहिए और हर रोज गर्म सलाखों से पूरे अंग को दागा जाना चाहिए एवं जेल में ही इनकी मौत के बाद लाश को लावारिस कहीं फेंक दिया जाना चाहिए।