ये ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है जो सक्षम बच्चों सा होना चाहते हैं। उनके कदम से कदम मिलाकर चलना चाहते हैं। ये ब्लॉग उन बच्चों का है जो मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौतिओं का सामना करते हैं। ये चुनौतियाँ प्रकृति की हैं और समाज की। मैं एसे नन्हे बच्चों के जज्बे को सलाम करता हूँ और कहता हूँ .....
एक दिन अपना आकाश दूँढ लेंगें ये नन्हें पंख , सूरज की रौशनी को ओढ़ चाँद की सफर पर निकलें हैं ये नन्हें पंख, प्रकृति ने जो इनके हिस्से की चौथाई चुराई है, उसे दूँढ निकालेंगे, एक दिन पूर्ण हो जायेंगें ये नन्हें पंख।
एक दिन अपना आकाश........
Sunday, October 5, 2008
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3 comments:
bhaiya meine blog padha. magar ispar kya comment dun, pata nahaßn chal pa raha hai. bas sirf itna hi kah sakta hun 'tumña nahin dekha'. mujhe yah blog padhane se pahle bahut joron ki nind lagi thtß aur mein office se bahana banakar nikalne ke mood mien tha. lekin iske bad gajab ki asfurti aa gai.bhaiya really tumsa nahin dekha.
aap ke shabd marm ko choo gaye. prayas ko pranaam. aap se judke in shabdon ko satrangi udan dena chahoonga.
Dear GB,
Read the post I don't know what to say... It is a pleasure to look at K this the first time I saw his picture. It is really great that you have started this blog. I usually don't know how to post comments on blog and what to write in them... this is even more difficult. I will keep coming back and read as your blog grows. I really hope this becomes a good medium for which it is intended.
AA
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