Saturday, February 23, 2013

अक्षम बच्चे कैसे जीएं वहां, जहां हर चेहरे से निकलती है चिनगारी


मंदबुद्धि 14 वर्षीय छात्रा से दुष्कर्म



रिश्तों की चादर पतली होती जा रही है। हालात यह है कि रिश्ते तार-तार हो रहे हैं। मर्यादा की सख्त बुनावट भी ढीली हो गई है। नैतिकता के अश्लील नृत्य ने समाज का चेहरा बदरंग कर दिया है। विकास का ढिढोरा पीटने वाली दुनिया इतनी व्यस्त है कि उसे अपना चेहरा देखने की फुर्सत नहीं। समाज के ऐेसे चरित्र के साथ अक्षम, अपाहिज और लाचार बच्चे कैसे जीएं, जहां हर चेहरे से चिनगारी निकल रही है।
बुधवार को भूना (फतेहाबाद) के गांव गोरखपुर में  निजी स्कूल के अध्यापक द्वारा मंदबुद्धि 14 वर्षीय छात्रा से दुष्कर्म करने का मामला सामने आया। छात्रा के पिता ने शिकायत में बताया कि बेटी गांव के एक निजी स्कूल में पढ़ती है। 20 फरवरी को उसकी बेटी ने स्कूल जाने से इंकार कर दिया। स्कूल में भेजने के लिए दबाव डाला गया तो उसने टीचर द्वारा दुष्कर्म करने की बात बताई। इसके पहले चंडीगढ़ की एक संस्था के कर्मचारियों ने एक मंदबुद्धि लडक़ी के साथ दुराचार किया था। मामला तूफान की तरह उठा और उफनते दूध की तरह शांत हो गया। उस पीडि़त लडक़ी ने आखिरकार कोर्ट की सहमति पर एक नन्ही परी को जन्म दिया। सृष्टि के हादसे के शिकार लोग समाज की प्रताडऩा भी सहते हैं, ऐसे में मैं प्रभु से न्याय की गुहार लगाता हूं। उसकी कचहरी कहीं सजते नहीं देखी फिर भी अगर इंसाफ की अदालत कहीं लगती हो तो इन अक्षम मासूमों के साथ न्याय करना। कोई ऐसा फरिस्ता भेजना हे परमपिता तो इनका पालनहार बन सके। वर्ना विश्वास में धोखे की मिलावट ऐसी है कि पालनहार बनने का दावा करने वाला सख्स ही प्रताडऩा की हदें पार करता है।

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