Friday, September 4, 2009
थर्मल पॉवर के रैडिएशन से बच्चे हो रहे विकलांग
यह उजाला एक भ्रम है, एक छलावा है। इस उजाले के पीछे एक विशाल अंधेरी खाई है। 2010 तक पंजाब को रोशनी से नहला देने की जुगत में लगी पंजाब सरकार इस सत्य को स्वीकार करना नहीं चाहती की थर्मल प्लांट से निकलने वाले रैडिएशन से बच्चों का मानसिक विकास बाधित हो रहा है। फरीदकोट में सेरिब्रल पाल्सी के बच्चों के बाल में पाया जाने वाला यूरेनियम का भटिंडा के थर्मल पॉवर प्लांट से निकलने वाले धुएं और रैडिएशन से गहरा नाता है। मालवा में बच्चों की स्थिति और भी दयनीय है। यहां लगातार लोगों में कैंसर की शिकायतें आ रही हैं, बर्थ डिफेक्ट्स और साथ ही शारीरिक व मानसिक विकलांगता सामने आ रही है। मास्को की न्यूक्लीयर रिसर्च करने वाला अग्रणी संस्था आरआरसी कुर्चाटोव इंस्टीट्यूट ने पिछले महीने प्रकाशित अपने एक लेख में कहा था कि कोल बेस्ड पॉवर स्टेशन के आसपास के इलाके में रहने वाले रैडिएशन के कुप्रभाव से बच नहीं सकते और इस कारण उन्हें गंभीर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पेश आती हैं। इससे नवजात बच्चों के मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग होने का खतरा रहता है। भटिंडा, फरीदकोट और मालवा सहित आसपास के इलाकों में लगातार मंदबुद्धि (मेंटली चायलेंज्ड) बच्चे पैदा हो रहे हैं। इन सबको नजरंदाज करते हुए गिद्दरबाहा, राजपुरा और तलवंडी साबो में नये थर्मल पावर प्लांट लगाने की तैयारी हो रही है। यह गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे उजाले का कोई मतलब नहीं है जिसके पीछे अंधेरे का विशाल साम्राज्य हो। अंधेरे की इस साजिश में कई नन्हे पंखों की उड़ान को ग्रहण लग जाएगा। पंजाब सरकार को इसपर संजीदगी से विचार करना चाहिए। जब आने वाली पीढ़ी ही अपंग पैदा होगी तो रोशनी से नहाए शहर और गांवों का होना बेमानी हैं।
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5 comments:
यह सचमुच गम्भीर मामला है इसके खिलाफ आन्दोलन होना चाहिये ।
बेहद दुःख हुआ पढ़ कर ....एक कड़वा सत्य उजागर करने के लिए आभार....
regards
बेहद दुःख हुआ पढ़ कर..जानकारी के लिये धन्यवाद...
आपने एक ज्वलंत समस्या को सामने लाया है। सरकार और समाज को इसपर सोचना चाहिए। नन्हे पंखों को मेरा ढेर सारा आशीर्वाद।
ek aise samasya ko ugazar kiya hai jisse sabhi anjaan the......aise baato ke liye sach mein aawaz uthana zaroori hai.....
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