यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है।
इन्हें हमारे हौसलों और नर्म सहारों की जरूरत है।
कभी-कभी लगता है कोई साथ है, फिर लगता है कहीं भ्रम तो नहीं। इस भ्रम के अंधेरे में जो आपका हाथ थाम ले वही आपका सच्चा साथी है। साथियों मैंने जब भी हाथ बढ़ाया आपने बढ़कर थाम लिया। आपका आभार। पर जरा सोचिये उन नन्हे पंखों को जो खुद से आपकी ओर अपना हाथ नहीं बढ़ा सकते। ऐसे किसी नुक्कड़ पर, मुहल्ले में, गली-चौबारे पर आपको कोई लडख़ड़ाता हुआ सा बच्चा मिल जाए तो उसका हाथ जरूर थाम लीजिएगा। ये अपील उन नन्हें पंखों की जरफ से मैं कर रहा हूं। अभी कुछ दिन पहले मैं कुशाग्र को लेकर चंडीगढ़ के सेक्टर 32 स्थित मानसिक रूप से अक्षम बच्चों के स्कूल गया था। वहां फिजियो, स्पीच और आइक्यू टेस्ट के लिए तीन घंटे तक रहा। इस दौरान वहां पढ़ रहे मंदबुद्धि बच्चों को देखकर लगा कि वो भी उडऩा चाहते हैं, आकाश छूना चाहते हैं। इन्हें हमारे हौसलों और नर्म सहारों की जरूरत है। अभी मैं निकलने ही वाला था कि एक महिला काफी बड़े से बच्चे को गोद में लिए रजिस्ट्रेशन कक्ष में दाखिल हुई। वह बच्चा उसकी गोद में पूरी तरह आ भी नहीं सहा था। मैंने कहा मैम आप कबतक इसे लिए खड़ी रहेंगी बैठ जाइए। स्कूल के कर्मचारियों ने कहा आप तो आज देर हो गईं अब कल नौ बजे आना होगा। इस वक्त दिन के दो बज रहे हैं और टेस्ट में कम से कम तीन से चार घंटे लगते हैं। यह सुनने के बाद उसके चेहरे पर हताशा के बादल स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। कुछ देर तक वह बुत बनी खड़ी रही फिर बाहर लगी कुर्सी पर बैठ गई। मैंने पूछा, बाबू कितने साल का है, उत्तर था 15 का। अभी चल भी नहीं पाता और ना ही बैठ पाता है। कहीं दिखया नहीं? बहुत जगह भटकी हूं, उस महिला ने कहा। कुश की मां ने कहा मैं समझ सकती हूं, मेरा बेटा भी 6 साल से ऊपर का हो गया और वह भी चलने, बैठने और बोलने में असमर्थ है। यह सब सूनने के बाद मैने कहा मैम मैं भी काफी भटका हूं और अब समझ गया हूं कि इसमें लम्बे समय तक फिजियो थेरेपी देने और धीरे-धीरे बच्चों को आसपास की चीजों से परिचय कराने से ही कुछ हासिल हो सकता है और इसके लिए बड़े धैर्य की आवश्यकता है।इस विषय में चंडीगढ़ स्थित प्रयास संस्था के डॉ. वालिया और पटना के डॉ. जयन्त प्रकाश की बात तर्कसंगत लगती है कि बच्चे को फिजियो थेरेपी और आक्युपेशनल थेरेपी से ही बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है। डॉ. वालिया भी ऐसे बच्चों की मोबिलिटी पर जोर देते हैं और अपने तमाम भटकाव के बाद मुझे यह बात तर्कसंगत लगती है। अपील : हर गर्भवती का प्रीनेटल टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
4 comments:
इस बेहतरीन पोस्ट के लिए,
बधाई।
असक्षम बच्चो के प्रति आपका ये प्रयास सरहानीय है.... भावनात्मक लेख....आभार
regards
satik lekh aur hamari samvednayein un sabhi bachchon ke sath hain.
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी के लिए ! बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मसूर दाल बनाया मेरा रेसिपे देखकर और आपको पसंद आया! मेरे अन्य ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! इस शानदार और बेहतरीन पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ!
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