इस दुनिया में पैसा को सबकुछ मानने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है और आदमी को सबकुछ मानने वालों की संख्या कमइस जहान में आदमी को आदमी का साथ चाहिए। पैसा तो हम कहीं से लोन भी ले सकते हैं, आदमी कहां से लोन लें? लोगों के दिए भरोसे पर सोचते हुए जो ख्याल आया वो है.. .. .. .. .. ..
कहने को सारा जहान अपना था,
जब मांगा तो सब हवा हुए,
सब सपना था।।
कहने को सारा जहान अपना था।
ये जीवन माटी-ढेला सब,
बस राम नाम ही जपना था
सब सपना था।
सब कह के गए थे आएंगे,
जीवन भर साथ निभाएंगे,
हम राह तके और थके-थके,
हिस्से जो मिला तड़पना था,
सब सपना था।
Monday, May 10, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
अच्छी प्रेरणा देनेवाले सुंदर विचार!
--
आज ख़ुशी का दिन फिर आया!
जन्म-दिवस पर मिला : मुझे एक अनमोल उपहार!
मुझको सबसे अच्छा लगता : अपनी माँ का मुखड़ा!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
अस्थाना जी आपको शुभकामनाएँ!
Post a Comment