Monday, May 24, 2010

मैं तो बीमार था, मुझे पापा ने क्यूं छोड़ा ?

यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है।
जब अपनों का भरोसा टूटता है तो एक पल के लिए पूरी दुनिया अंधेरी हो जाती है। उस अंधेरे से लड़कर बाहर आना दूसरों के लिए उम्मीद की एक चराग रोशन करना है। गीता वर्मा ने जालंधर की एक ऐसी ही दास्तान भेजी जो कुछ दिन पहले भास्कर में प्रकाशित हुई थी।
मैडम मेरे नाम के साथ दुग्गल मत लगाना। मैं पति का नाम नहीं लगाना चाहती। उसने मुझे तब छोड़ा जब मुझे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी...
जया के बेटे का पूरा शरीर एक बीमारी ने डस लिया। हाथ-पैर नकारा हो गए। आवाज चली गई। बचा तो सिर्फ दिमाग। पढ़ाई-लिखाई बंद हो गई। स्कूल वालों ने राहुल को एडमिशन देने से मना कर दिया। पति ने कहा, वह अपनी सैलेरी इसके इलाज पर खराब नहीं करेगा। इसके बाद तो जैसे उसकी जिंदगी में तूफान आ गया। जया लुधियाना की हैं। राहुल जब 9 साल का था तो एक दिन अचानक भारी दस्त के बाद उसके पैरों में कमजोरी आ गई। राहुल के शरीर ने काम करना बंद कर दिया। हाथों में जान नहीं रही। पैरों से हरकत गायब हो गई। शब्दों ने मुंह का साथ छोड़ दिया। उन्होंने राहुल को कई डॉक्टरों को दिखाया पर किसी को कुछ समझ नहीं आया। यहीं तक होता तो ठीक था। रोज-रोज की भागम-भाग से झल्लाए पति ने एक दिन कह दिया कि राहुल कभी ठीक नहीं होगा। इस पर समय और पैसा खराब मत करो। इसकी जगह एक और बच्चा पैदा कर लेते हैं। जया जब इसके लिए तैयार नहीं हुई तो पति ने कहर ढा दिया। दूसरी शादी रचा ली। इसके बाद वह पति से अलग हो गई और उसमें और ताकत आ गई। उसने ठान लिया कि वह उसे ठीक करके रहेगी। उसे दिल्ली ले गई। अपोलो में जांच के बाद पता चला कि उसे मायलाइटिस पोर्स वायरल है। यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला रोग है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पीएन रंजन ने बताया कि इस वायरल का कोई निश्चित इलाज नहीं है। फिजियोथैरेपी और एक्सरसाइज के जरिए कुछ मदद जरूर मिल सकती है। उन्होंने राहुल को भी समझाया कि हिम्मत उसे ही करनी होगी। अपने घर हैबोवाल आकर मां-बेटे दोनों 12-12 घंटे तक एक्सरसाइज करते। राहुल थक जाता पर मां का हौसला उसे और हिम्मत देता। फिजियोथैरेपिस्ट के हर निर्देश का पालन करते। मां के त्याग ने राहुल को मानसिक रूप से बहुत मजबूत बनाया। प्रयास रंग लाया। 6 माह में वह बोलने लग गया।इसके बाद राहुल को लगा कि वह ठीक हो सकता है। मां ने उसे बोलकर पढ़ाना शुरू किया। बहन नेहा उसके लिए लिखने की प्रैक्टिस करती। राहुल ने इतना रिकवर किया कि उसने 8वीं के पेपर स्ट्रैचर पर लेट कर दिए। अच्छे नंबरों ने उसका आत्मविश्वास और बढ़ाया। वह 10वीं के पेपर की तैयारी में जुट गया। वह घंटों बोलने की प्रैक्टिस करता और बहन लिखने की। स्कूल वालों ने दाखिला नहीं दिया तो उसने प्राइवेट पेपर दे दिए। अब इंतजार था रिजल्ट का। रिजल्ट आया तो राहुल ने सबसे ज्यादा नंबर पाए थे। लगन देखकर भारती विद्या मंदिर स्कूल ऊधम सिंह नगर ने उसे एडमिशन दे दिया। 12 वीं में जब उसने टॉप किया तो प्रिंसीपल सुनील अरोड़ा ने कहा, राहुल ने साबित कर दिया कि उसे दाखिला देना गलत निर्णय नहीं था। इसके बाद राहुल ने बीसीए ज्वाइन किया और पहले ही साल पंजाबभर में फस्र्ट आकर मां का नाम रोशन किया।सीखिए, ऐसे करते हैं दर्द का सामना राहुल के हाथ अभी भी तेजी से नहीं चलते। प्रैक्टिस के दौरान पेपर 7 घंटे में हल करता है। रात-रात भर उसे भयंकर दर्द होता है। कराहने की बजाय वह इस दर्द को पढ़ाई कर भूलने का प्रयास करता है।

9 comments:

Vinay Sharma said...

realy this is very amazing thanks

Udan Tashtari said...

बस पढ़्कर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पढ़ाई के इस जज्बे को नमन!

seema gupta said...

राहुल की बारे में जान कर ख़ुशी भी हुई की उसकी मेहनत और लगन से वो अपना मुकाम हासिल कर के रहेगा और बेहद दुःख से आँखें नम हो गयी की पिता ने ऐसे समय पे साथ छोड़ा जब शायद उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. राहुल की माँ की जितनी तारीफ की जाये कम है, जो उन्होंने इतने दुःख सह कर राहुल का हौसला और आत्मविश्वास बनाये रखा. राहुल अपने जीवन में जरुर सफल होगा ये विश्वास है, और इश्वर से दुआ भी की इस बच्चे के सर पर हमेशा अपना आशीर्वाद बनाये रखे.
"good luck rahul"
regards

rashmi said...

yah wakai ek bare hausle ka kam hai....sach maa ke rup mejitni tarif ki jaye usase kahi jyada rahul ki ki usne apni maa ki lagan ko samjha.....sach kewal naman...dono ko.

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

स्तब्ध सा हूँ !!
शब्द नहीं मिल पा रहे हैं मन के भावों को.

indu puri goswami said...

क्या कहूँ
बस इतना कि जयाजी को प्रणाम,उनकी और राहुल की हिम्मत की दाद दूंगी.इश्वर करे राहुल जीवन मे खूब सफलता पाए.

amlendu asthana said...

Ap sab logon ka abhar jo is samvedanshil post ko itni tarjih di.

Richa P Madhwani said...

blog par comment karne k liye apka dhanyavad